Sunday 15 July, 2012

अब बस आहट है
शायद तुम्हारे आने की,
मेरे बाहों मे मुस्काराकर
यूही सिमट जाने की

बरसे पानी की बूंदे हाथों मे लिए,
तुम मेरे कानोंमे जब गुनगुनाती हो,
मेरी आँखे समा बांध देती है
दिल ही दिल मे बरस जाने की

ये बारिश भी बड़ी उलझी है
पत्थर जैसे दिल को उलझा देती है,
कभी कबार ये गुस्ताख दिल भी
हस लेता है सुनके "आहट" तुम्हारे आने की..........संदेश प्रताप

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