Monday, 15 July 2013

फिर वोही रात है

फिर वोही रात है
फिर वोही बात है
न चाहते हुए भी
तू मेरे साथ है

फिर वोही रात है

लगता है डर भी अभी
न करू फिरसे वफ़ा,
खुश ही तो रहता हू
... जो कहते लोग बेवफा

फिर वोही रात है

अब कर रहम मुझपे
ना दिखा ऐतबार इतना,
ढलने दे इस रात को
दर्द होता है,जब मिलता है सुकून इतना

फिर वोही रात है...................संदेश प्रताप

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