Mazya Kavita (मी माझ्या कवितेतून)
घरापासून दूर राहून येणार्या आठवणिना समर्पित
Monday, 13 August 2012
वोह तो आँखे थी
वोह तो आँखे थी
बयाँ कर गयी सूब कुछ,
लब्ज होते तो शायद
मुकर गये होते अब तक..........
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