शायद कभी वोह लम्हा बेजूबा
जो रूका हुवा है तेरे मेरे बीच मे
बस उसी की आरझु अब
कभी बरस जाए ऐसे
की हर कोई बेजूबा हो जाए
...एक वोह "लम्हा" छोडके... शायद कही !! शायद कभी !!! ...................संदेश प्रताप
जो रूका हुवा है तेरे मेरे बीच मे
बस उसी की आरझु अब
कभी बरस जाए ऐसे
की हर कोई बेजूबा हो जाए
...एक वोह "लम्हा" छोडके... शायद कही !! शायद कभी !!! ...................संदेश प्रताप
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